खुले गगन में, वन उपवन में
अब जाने को दिल करता है
बंधन तोड़ के, सब कुछ छोड़ के
उड़ जाने को दिल करता है |
दिल करता है संग हवा के
दूर कहीं मैं बह जाऊं
दिल करता है फिर न लौटूं
वहीँ कहीं मैं रह जाऊं
कटी पतंग सा दिल की उमंग सा
हवा में गोते मैं खाऊँ
फिर न आऊँ कभी ज़मीन पर
रहूँ हवा में इतराऊँ
पर इक इक करके इतने दिन से
चुन चुन के जो जोड़े हैं
अब याद नहीं आता है
क़ि वो पंख कहाँ रख छोड़े हैं
याद नहीं आता है
क़ि वो पंख कहाँ रख छोड़े हैं